Protozoa द्वारा होने वाले रोग
रोग :- मलेरिया
प्रभावित अंग :- तिल्ली एवम RBC
परजीवी:- प्लाजमोडियम
वाहक:- मादा एनाफ्लिज
लक्षण:- ठंड के साथ बुखार
२. रोग:- पायरिया
प्रभावित अंग:- मसूड़ों
परजीवी:- एंट अमीबा जिंजीवेलिस
लक्षण:- मसूड़ों से खून निकलना। रोग:- सोने की बीमारी
प्रभावित अंग:- ट्रिपेनोसोमा
वाहक:- सी -सी मक्खी
लक्षण:- बहुत नींद के साथ बुखार
4. रोग :- पेचिस
प्रभावित अंग:- आंत
परजीवी:- एंट अमीबा हिस्टोलिटीका
लक्षण:- श्लेष्मा एवम खून के साथ दस्त यू
५. रोग :- काला - जार
प्रभावित अंग:- अस्थि - मज्जा
परजीवी :- लिशमेनिया डोनावानी
वाहक:- बालू - मक्खी
लक्षण :- तेज बुखार
जीवाणु (bacteria) के द्वारा होने वाले रोग
1. रोग:- टिटनेस
प्रभावित अंग:- तंत्रिका तंत्र
जीवाणु :- क्लास्ट्रीडियम टेटेनी
लक्षण :- तेज बुखार , शरीर में ऐठन , जबड़ा बन्द होना
२. रोग:- हैजा
प्रभावित अंग:- आंत
परजीवी: विब्रीओ कालेरी
लक्षण:- लगातार दस्त और उल्टी
3.:- रोग :- टायफायड
प्रभावित अंग:- आंत
जीवाणु:- सालमोनेला टाइफी
लक्षण:- तेज बुखार , सिर दर्द
4. रोग :- क्षय रोग
प्रभावित अंग :- फेफड़े
जीवाणु :- माईकोबैक्टिरियम ट्यूबरकुलोसिस
लक्षण:- बार बार खासी के साथ कफ , रक्त निकलना
5. रोग:- डिप्थीरिया
प्रभावित अंग:- श्वास नली
जीवाणु:- कोरिनी बैक्टिरियम डीप्थीरी
लक्षण :- सांस लेने में दिक्कत और दम घुटना
6. रोग :- प्लेग
प्रभावित अंग :- फेफड़े , कंवर दोनो पैरो के बिच
जीवाणु :- पाशचुरेला पेस्टिस
लक्षण:- बहुत तेज बुखार , शरीर पर गिलटिया
7. रोग :- काली खासी
प्रभावित अंग:- श्वशन तंत्र
जीवाणु :- हिमोफिल्स परटूसीस
लक्षण:- लगातार खासी आना
8. रोग :- निमोनिया
प्रभावित अंग:- फेफड़ा
जीवाणु :- डिप्लोकोकस न्यूमोनी
लक्षण :- तेज बुखार, फेफड़ों में सूजन
9. रोग :- कोढ़
प्रभावित अंग :- तंत्रिका तंत्र, त्वचा
जीवाणु :- माइको बैक्टीरियम लेप्री
लक्षण:- शरीर पर चकते , तंत्रिकाय प्रभावित
10. रोग:- गोनोरिया
प्रभावित अंग:- मूत्र मार्ग
जीवाणु:- नाइसेरिया गोनोरियाई
लक्षण :- मूत्र मार्ग में सूजन
११. रोग :- सिफलिस
प्रभावित अंग:- शिशन
जीवाणु :- ट्रेपोनमा पैलिडम
लक्षण:- शिशन में धाव
हेलमिंथस द्वारा होने वाली बीमारी :-
१. अतिसार (diarrhoea) :- इस रोग का कारण आंत में मोजूद एस्केरिस लूमब्रीकाइडीज नामक अंत: परजीवी प्रोटोजोआ हैं जो घरेलू मक्खी द्वारा प्रसारित होता है इसमें आंत में घाव हो जाते हैं इसमे प्रोटीन पचाने वाला एंजाइम ट्रिप्सिन नष्ट हो जाता हैं यह रोग बच्चो में अधिक पाया जाता है
२. फाइलेरिया ( filaria) :- यह रोग फाइलेरिया बैनकोफ्टाइ नामक कृमि से होता है इस कृमि का संचार क्यूलेक्स मच्छरो के दंग से होता है इस रोग को में पैरो में , वृषणकोषओ शरीर के अन्य भागों में सूजन हो जाता है हाथी पांव रोगी कहते हैं
फफूंद द्वारा होने वाली बीमारी (फंगस)
१. दमा (asthama) :- मनुष्य के फेफड़ों में एस्पेजिरलस फ्यूमिगेटस नामक का वक्त के इस पर पहुंचकर वहां चल बनाकर फेफड़ों का काम अबरुद्ध कर देते हैं यह संक्रमण रोग है
२. एथलीट फुट ( athlete's foot):- यह रोग टीनिया पेडिस नामक कवक से होता है यह त्वचा का संक्रमण रोग है जो पैरों की त्वचा के फटने कटने और मोटे होने से होता है
३. खाज (scabies):- यह रोग एकेरस स्केबिच नामक कवक से होता है इसमें त्वचा में खुजली होती है तथा सफेद दाग पड़ जाते हैं
4. गंजापन (baldness):- यह टीनिया कैपिटिस नामक कवक से होता है इसमें सिर के बाल गिर जाते हैं
5. दाद (Ringworm) :- यह रोग ट्राइ कोफायटान लेरूकोसम नामक कवक से फैलता है यह संक्रमण रोग है इसमें त्वचा पर लाल रंग के गोले पढ़ जाते हैं
विषाणु (virous)के द्वारा होने वाली बीमारी :-
1. बीमारी: -एडस (AIDS)
(Acquired immuno deficiency syndrome)
प्रभावित अंग: - प्रतिरक्षा प्रणाली (WBC)
विषाणु का नाम :- HIV
लक्षण :- प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट करना
2. डेंगू ज्वर (हड्डी तोड़ बुखार)
प्रभावित अंग:-संपूर्ण शरीर खासकर सिर आंखों एवं जोड़
विषाणु का नाम:-अरबो वायरस
लक्षण :-आंखो, पेशियों, सिर तथा जोड़ों में दर्द
3. पोलियो
प्रभावित अंग:- गला, रीड ,नाड़ी
विषाणु का नाम:- पोलियो
लक्षण :- ज्वर, बदन में दर्द ,रीड की हड्डी ,आंत की कोशिकाएं नष्ट हो जाते हैं
4. इनफ्लुएंजा
प्रभावित अंग:- संपूर्ण शरीर
विषाणु का नाम:- निक्सो वायरस (A.B.C)
लक्षण:-गलशोध , बेचैनी, छीक
5. चेचक
प्रभावित अंग:- संपूर्ण शरीर
विषाणु का नाम :- वेरी ओला वायरस
लक्षण:- तेज बुखार शरीर पर लाल लाल दाने
6. छोटी माता
प्रभावित अंग:- संपूर्ण शरीर
विषाणु का नाम :- वेरीसैला वायरस
लक्षण:- हल्का बुखार शरीर पर पित्तकाए
7.गलसोध
प्रभावित अंग :- पैरा थायराइड ग्रंथि
लक्षण :- ज्वर के साथ मुंह खोलने में कठिनाई
8. खसरा
प्रभावित अंग :- संपूर्ण शरीर
विषाणु का नाम :- मोरबिली वायरस
लक्षण:- शरीर पर लाल दाना
9. ट्रेकोमा
प्रभावित अंग:- आंख
लक्षण :- आंख लाल होना , आँख मे दर्द
10.हिपेटाइटीस पीलिया
प्रभावित अंग:- यकृत
लक्षण:- पेशाब पीला , आंख एवम त्वचा पीली हो जाती हैं
11. रेबीज
प्रभावित अंग:- तंत्रिका तंत्र
विषाणु :- रेब्डो वायरस
लक्षण:- रोगी पागल हो जाता। है जीभ बाहर निकालता है
12. मेनिनजाइटीस
प्रभावित अंग:- मस्तिष्क
लक्षण:- तेज़ बुखार
13 हपिंस
प्रभावित अंग:- त्वचा
विषाणु :- हरपीस
लक्षण :- त्वचा में सूजन हो जाती हैं
Note :- ELISA (Enzyme linked immune solvent Assy) यह HIV वायरस की जॉच करने की तकनीक है इस से पता चलता है व्यति एड्स। पीड़ित हैं या नहीं !
मनुष्यो में होने वाला आनुवंशिक रोग।
1. वर्णन्धता (colourblindness) :- इसमें रोगी को लाल एवं हरा रंग पहचानने की क्षमता नहीं होती है इस रोग से मुख्य रूप से पुरुष प्रभावित होता है स्त्रियों में यह तभी होता है जब इसके दोनों गुणसूत्र एक्स एक्स(xx) प्रभावित होते हो इस रोग की वाहक स्त्रियां होती है
२ हीमोफीलिया (haemophilia) :- इस रोग में व्यक्ति में चोट लगने पर आधा घंटा से 24 घंटे तक रक्त का थक्का नहीं बनता है यह मुख्यत पुरुषों में होता है स्त्रियों में यह रोग तभी होता है जब इसके दोनों गुणसूत्र एक्स एक्स प्रभावित हो इस रोग की वाहक स्त्रियां होती है
3. टर्नर सिंड्रोम (turner's syndrome :- यह रोग स्त्रियों में होता है इस रोग से ग्रसित स्त्रियों के गुणसूत्रों की संख्या 45 होती है इसमें शरीर अल्पविकसित, कद छोटा तथा वृक्ष चपटा होता है जननांग प्राया अविकसित होता है जिसमें वह आज होती है
4. क्लिंफेल्टर सिंड्रोम (klinefelte's syndrome) यह रोग पुरषों में होता है इस रोग से ग्रसित पुरुषों में गुणसूत्रों की संख्या 47 होती है जिसमें पुरुषों का वृषण अल्प विकसित तथा स्तन स्त्रियों के सामान विकसित हो जाता है इस रोग से ग्रसित पुरुष नपुंसक होता है
5. डाउन्स सिंड्रोम (Down's syndrom) :- इस रोग से ग्रसित रोगी मंदबुद्धि आंखें टेड़ी जीभ मोटी तथा अनियमित शरीर ढांचा होता है इससे मंगोलिज्म भी कहते हैं
6. पटाऊ सिंड्रोम ( patau's syndrome:- इसमें रोगी का ऊपर का होंठ बीच से कट जाता है तालू में दरार हो जाता है इस रोग में रोगी मन बुद्धि नेत्र रोग आदि से प्रभावित हो सकता है
कुछ अन्य रोग :-
1. लकवा (paralysis) :- इस रोग में कुछ ही मिनटों में शरीर के आधे भाग को लकवा मार जाता है वहां की तंत्रिका निष्क्रिय हो जाती है इसका कारण अधिक रक्त दाब के कारण मस्तिष्क की कोई धमनी का फट जाना अथवा मस्तिष्क को और पर्याप्त रूप से रक्त की आपूर्ति होना है
2. एलर्जी (Allergy):- कुछ वस्तु जैसे धूल धुआं रसायन कपड़ा सर्दी किन्हीं विशेष व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो जाते हैं और उनके शरीर में विपरीत क्रिया होने लगती है जिससे अनेक बीमारियां हो जाती है खुजली फोड़ा फुंसी शरीर में सूजन आ जाना काला दाग एक्जीमा आदि एनर्जी के उदाहरण है
3. सिजोफ्रेनिया (schizophrenia) :- यह मस्तिष्क रोग है जो प्राय: युवा वर्ग में होता है ऐसा रोगी कल्पना को ही सत्य समझता है वास्तविकता को नहीं ऐसे रोगी आलसी आवेग विहीन होते हैं विद्युत आपेक्षिक चिकित्सा इसमें काफी सहायक होते हैं
4. मिर्गी (EPilepsy) :- इसे अपस्मार रोग कहते हैं यह मस्तिष्क के आंतरिक रोगों के कारण होता है और जब दौरा पड़ता है तो रोगी के मुंह से झाग निकलता है और मल पेशाब भी निकलता है
5. डिप्लोपिया (diplopia) :- यह रोग आंख की मांसपेशियों के पैरालाइसिस के कारण होता है
6. कैंसर (cancer):- मनुष्य के शरीर के किसी अंग में तथा त्वचा से लेकर अस्थि तक यदि किसी कोशिका में वृद्धि और अनियमित रहो तो उसके परिणाम स्वरुप कोशिका में गुच्छा बन जाता है अनियमित कोशिकाओं के गुच्छे को कैंसर कहते हैं कैंसर को स्थापित होने में जो समय लगता है उससे लेटेड़ पीरियड कहतेहैं 1.कार्सिनोमास :- इसकी उत्पत्ति उपकला ऊतक से होती है
2. सारकोमास :- यह कैंसर संयोजी उतको अस्थियों उपास्थि एवं पैशीयो में होता है
3. ल्युकिमियास :- यहां ल्युकोमाइटस मेंअसामान्य वृद्धि के कारण होता है
4. लिम्फोमास :- यह कैंसर लसीका गांठ हो एवं प्लीहा में होता है
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